Vidyut Suraksha Yojana 2025: भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए ₹5400 करोड़ की नई योजना शुरू

भारत सरकार ने 2025 में ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ा और दूरदर्शी कदम उठाया है, जिसका नाम है Vidyut Suraksha Yojana 2025। यह योजना राष्ट्रीय स्तर पर बैटरी स्टोरेज को बढ़ावा देने और देश को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाया गया एक रणनीतिक कदम है।

भारत जैसे विशाल देश में जहां बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है, वहां ऊर्जा भंडारण की समस्या एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। इस चुनौती से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत ₹5400 करोड़ की Viability Gap Funding (VGF) को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य है 30 GWh (गीगावाट घंटे) की बैटरी स्टोरेज क्षमता विकसित करना, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा को स्थायित्व मिल सके।

यह योजना क्यों ज़रूरी है?

भारत की ऊर्जा जरूरतें तेज़ी से बढ़ रही हैं, विशेष रूप से सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में। हालांकि, इन ऊर्जा स्रोतों की एक बड़ी चुनौती यह है कि ये अवधि आधारित होते हैं — यानी सूरज के उगने और हवा के चलने पर निर्भर करते हैं। इस वजह से, जब बिजली की मांग अधिक होती है, तब इन स्रोतों से पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाती।

इसी वजह से बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) की जरूरत महसूस की जाती है। Vidyut Suraksha Yojana 2025 के ज़रिए सरकार इसी स्टोरेज गैप को भरने का प्रयास कर रही है। इस योजना से न केवल ग्रिड स्थिरता में सुधार होगा बल्कि भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को भी बल मिलेगा।

Viability Gap Funding (VGF) का क्या महत्व है?

VGF एक सरकारी वित्तीय सहायता है जो उन परियोजनाओं को दी जाती है जो सामाजिक रूप से उपयोगी होती हैं लेकिन पूरी तरह से निजी निवेश के लिए आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं होतीं। इस योजना में ₹5400 करोड़ की VGF दी जाएगी ताकि निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

सरकार के अनुसार, यह राशि National Electricity Plan 2022–32 के तहत बैटरी भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

30 GWh क्षमता का क्या मतलब है?

GWh यानी गीगावाट घंटे — यह मापता है कि कोई स्टोरेज सिस्टम कितनी ऊर्जा स्टोर करके आपूर्ति कर सकता है। 30 GWh की बैटरी स्टोरेज क्षमता का मतलब है कि भारत के पास इतनी बिजली स्टोर करने की ताकत होगी जो लाखों घरों को कई घंटों तक बिना ग्रिड से जोड़े भी बिजली दे सके।

इस स्टोरेज क्षमता का इस्तेमाल:

  • ग्रिड फेल होने पर आपात बिजली आपूर्ति
  • सौर और पवन ऊर्जा को अधिक प्रभावी बनाना
  • रिमोट क्षेत्रों तक बिजली पहुंचाना
  • इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग नेटवर्क में मदद

जैसे प्रमुख उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।

योजना की प्रमुख विशेषताएं

Vidyut Suraksha Yojana 2025 को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह न केवल केंद्र सरकार, बल्कि निजी निवेशकों और राज्य सरकारों को भी एक साथ जोड़ सके। इस योजना के तहत:

  • 5400 करोड़ रुपए की सरकारी सहायता VGF के रूप में दी जाएगी
  • निजी कंपनियां BESS (Battery Energy Storage Systems) में निवेश करेंगी
  • ऊर्जा मंत्रालय पूरे सिस्टम की निगरानी करेगा
  • पायलट प्रोजेक्ट्स के आधार पर विभिन्न राज्यों में BESS लगाए जाएंगे
  • योजना का संचालन अगले 5 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा

इससे किन सेक्टरों को होगा सीधा लाभ?

इस योजना से केवल पावर ग्रिड ही नहीं, बल्कि कई सेक्टरों को सीधा फायदा मिलेगा:

  1. कृषि क्षेत्र: फसलों को सिंचित करने के लिए लगातार बिजली जरूरी है। अब बैकअप पावर से किसानों को रात में भी बिजली मिल सकेगी।
  2. औद्योगिक क्षेत्र: फैक्ट्रियों में बिना रुकावट उत्पादन के लिए बिजली की निरंतर आपूर्ति आवश्यक है, जिसे बैटरी स्टोरेज सपोर्ट करेगा।
  3. स्वास्थ्य सेवाएं: अस्पतालों को 24×7 बिजली की जरूरत होती है। बैकअप के रूप में BESS यहां जीवनरक्षक भूमिका निभा सकते हैं।
  4. इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सेक्टर: EV चार्जिंग स्टेशन के लिए निर्बाध बिजली जरूरी है। अब स्टोरेज सिस्टम इसकी भरपाई कर सकेंगे।
  5. ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्र: जहां ग्रिड कनेक्शन कमजोर है, वहां बैटरी स्टोरेज से बिजली की पहुंच संभव होगी।

यह योजना किस दिशा में ले जाएगी भारत को?

Vidyut Suraksha Yojana 2025 भारत को उस दिशा में ले जा रही है जहां देश ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बन सके। वर्तमान में भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा थर्मल पावर प्लांट्स और आयातित कोयले से पूरा करता है। यह योजना देश को हरित ऊर्जा (Green Energy) की ओर मजबूती से बढ़ने में मदद करेगी।

योजना का लक्ष्य न केवल ऊर्जा स्टोरेज करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि भारत में भविष्य में बिजली कटौती जैसी समस्या कभी सामने न आए। इसके अलावा यह Net Zero Emission 2070 के लक्ष्य की ओर भी एक मजबूत कदम है।

राज्य और निजी कंपनियों की भागीदारी

इस योजना में भारत सरकार निजी क्षेत्र को भी भागीदार बना रही है। यह एक Public-Private Partnership (PPP) मॉडल पर आधारित है। निजी कंपनियां तकनीक, निर्माण और प्रबंधन की जिम्मेदारी लेंगी, जबकि सरकार उन्हें शुरुआती पूंजी (VGF) उपलब्ध कराएगी।

कुछ प्रमुख कंपनियाँ जैसे NTPC, Tata Power, Adani, Reliance, Greenko आदि पहले से ही इस क्षेत्र में काम कर रही हैं और उन्हें इस योजना से बड़ा बूस्ट मिल सकता है।

चुनौतियाँ क्या हो सकती हैं?

जहां यह योजना बहुत संभावनाओं से भरी है, वहीं कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं:

  • बैटरी निर्माण के लिए जरूरी रॉ मटेरियल भारत में सीमित मात्रा में हैं
  • टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता अभी अधूरी है
  • परियोजनाओं का संचालन और रख-रखाव महंगा हो सकता है
  • पर्यावरणीय चिंताएं और बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट भी एक मुद्दा हो सकता है

हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन सभी बिंदुओं पर विशेष निगरानी रखी जाएगी।

निष्कर्ष

Vidyut Suraksha Yojana 2025 भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और स्थायी बनाकर दुनिया में एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर सकती है। 30 GWh बैटरी स्टोरेज क्षमता और ₹5400 करोड़ की सहायता राशि के साथ यह योजना न केवल तकनीकी उन्नति को दर्शाती है, बल्कि यह आम जनता के जीवन को भी बेहतर बनाने का सामर्थ्य रखती है।

अगर यह योजना सुचारू रूप से लागू होती है, तो आने वाले वर्षों में भारत को बिजली की कमी से जूझना नहीं पड़ेगा और हर गांव, हर घर में स्थायी बिजली पहुंच सकेगी।

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